तब तुम कहां थे

उर में पीड़ा कसक रही थी
मेरी आंखें तरस रही थी
हृदय यूॅ॑ ही धड़क रहा था
तुम्हें देखने के लिए
तरस रहा था
मेरे कंठ रूंध रहे थे
हृदय कुछ कह रहे थे
तब तुम कहां थे
होठों पे प्यास उमड़ रही थी
अतस से आह निकल रही थी
दुनिया की भीड़ में 
जब हम अकेले थे
हमें तुम्हारी जरूरत थी
तब तुम कहां थे
---राजकपूर राजपूत''राज''
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