तुम्हें भी हवा लग गई है Afavaaho ka gyaan

Afavaaho ka gyaan Kavita 

तुम्हें भी हवा लग गई है
अब तो जमाने की

रंग बदलना सीख गए हो
ये मांग है तेरी सियासत की

चालाकियों को समझदारी मानते हो
अजीब है ये तेरी पढ़ाई की

मतलब निकालने में माहिर हो
लाचारी है तेरी आदत की

अब नाप तौल की है जिंदगी
ये दौर है क्या जरूरत की

अपनी शिक्षा दीक्षा को वैज्ञानिक मानते हो
संस्कार क्या है तेरी औकात की

तेरा सवाल तेरा जवाब
देश दुनिया की क्या हालत की

कन्फ्यूजन हो या फिर दोगलापन
पहचान नहीं तेरी नीयत की

अफवाहों को तुम ज्ञान मानते हो
धत तेरी जात की !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''

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