बातें मेरी

बातें मेरी 
कुछ शब्दों में 
पूरी नहीं होती
एक नज़र
देख के
ऑ॑खें नहीं भरती

कुछ और कहने के लिए 
अघीर हो जाता हूॅ॑
इसलिए ..
तेरे पास आ जाता हूॅ॑
कई शब्द 
मेरे अंतर्मन में पड़े
अवसाद बन सडे़ है
तुम्हें सुना के
हल्के हो जाना चाहता हूॅ॑
---राजकपूर राजपूत''राज''


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ