हमारी चाहत अंधा नहीं था

हमारा इश्क अंधा नहीं था
जानता था मगर गन्दा नहींं था

मुझे सितम मिले लाख मगर
इश्क मेरे लिए फंदा नहीं था

अब जोड़ तोड़ की जिंदगी है
मेरे लिए रिश्ता चंदा नहीं था

दिल खोल दिया उसने अपना
बदलें में कुछ लेंगे गधा नहीं था

जायज कहते रहे सब-कुछ सियासत में
मतलब समझा कोई अंधा नहीं था

---राजकपूर राजपूत''राज''
हमारी चाहत अंधा नहीं था






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