मन उपवन में -
मन उपवन में पुष्प खिला है
प्रफुल्लित मन नाच उठा है
जीवन की खाली बगिया को
भौरों का आज साथ मिला है
मन उपवन में पुष्प खिला है
कैसी अद्भुत स्पर्श है तेरा
टूट गया अवसाद स्वप्न मेरा
छेड़ मिलन की अब गीत कोई
जागी ऑ॑खें और ना सोएं कोई
होंठ मेरे अब गीला गीला हैं
मन उपवन में पुष्प खिला है
1 टिप्पणियाँ
वाह वाह अति सुन्दर रचना सर
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