मगर ये सच नहीं है - कविता हिन्दी में - poem on truth in hindi एक ही बातों का कई अर्थ है । समझने के लिए जरूरी है खुद की समझदारी । वर्ना यहां बहलाकर फायदा लेने वालों की कमी नहीं है । किसी के बातों की सच्चाई ढूंढने के लिए जरूरी है कि हमारी समझ उस स्तर पर हो, जहां से हम किसी की नीयत और इरादे पहचान सके । अगर पहचान नहीं पाते हैं तो हमें हमेशा ठगे जाने का डर लगा रहता है ।
poem on truth in hindi
मगर ये सच नहीं है
मेरी एक ही शिकायत से ही
तुम इस क़दर ना नाराज हो गए
बरसों के प्रेम को यूं ही छोड़ गए
जबकि ये मेरे प्यार का किस्सा था
थोड़ा रूठना, मनाना प्यार का हिस्सा था
तुने दिल में बात इस तरह रख ली
मानों मुझे तुमसे मोहब्बत नहीं थी
मेरी शिकायत को नफ़रत समझ बैठे
मेरी शिकायत को नफ़रत समझ बैठे
सुधार से की थी बातें तुम क्या समझ बैठे
कोई और होगा जो नफ़रत में कहते हैं
तुम उसे शायद ! मोहब्बत समझ बैठे
बूढ़े बरगद कट गए हैं विकास के नाम पर
तुम मतलबी लोगों को बुद्धिजीवी समझ बैठे
उसकी बातें कुछ और है नीयत कुछ और
सियासी बातों को तुम समझदारी समझ बैठे
उसने बातें की अच्छी
उसने बातें की अच्छी
दिल की बातें सुनी अच्छी
समझाया अपनो की तरह
रहा साथ अपनो की तरह
मगर ये सच नहीं है
उसके व्यवहार में मतलब है
यही सच है !!!
मगर ये सच नहीं है
जितने ज्ञान की बातें फारवर्ड होते हैं
कोई ग्रहण करते हैं
बस शेयर किया जाता है
एक दूसरे को
ताकि उसे भी समझा जा सके
ज्ञानी !!!
मगर ये सच नहीं है
अब आदमी आदमी नहीं है
जो दिखता है
वह सीखता है
अपनी असलियत से उल्टा
मतलब की तलाश !!!
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