जब जमाना नहीं सुनें तुम्हारी बात

जब ज़माना नहीं सुने तुम्हारी बात
पल पल करें तेरे हृदय को आघात

उस वक्त चलें आना तुम मेरे पास
कुछ लम्हें रखा हूॅ॑ तेरे लिए खास

बैठेंगे दोनों तो कई फंसाने निकलेंगे
दर्द भरे गीत कई पुराने निकलेंगे

कुछ तुम कहना कुछ मैं सुनाऊंगा
दर्द तेरे बड़े नाजुक हैं मैं सहलाऊंगा

कभी फुर्सत में आना और दिल बहलाना
जिंदगी छोटी है कोई बहाना न बनाना

---राजकपूर राजपूत''राज''
जब/जमाना/नहीं/सुने/तुम्हारी/बात


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