मेरी दुनिया मेरे दिल में बसा था

Hindi poetry in my heart.


मेरी दुनिया मेरे दिल में बसा था
जहां मेरी चाहत थी वहां फसा था

आप मुझे समझाने लगे महबूब
जबकि मैं तेरे इश्क में फसा था

मुस्कुराते थे फूल कभी अपनी डाल पे
मगर क्या करें तेरी जुल्फों में फसा था

तोहमत लगाते हैं मेरे इश्क़ में दुनिया
मेरी हालातों को और क्यों कसा था

जितना चाहा उतनी तकलीफ़ हुई
मेरा सुनापन सांप सा डसा था

अभी भी वक्त है तुम समझ जाओ
तुम मेरी यादों में आई मैं मंद-मंद हंसा था 

मेरा वक्त ऐसे ही गुजरता है तेरे ख्यालों में
रहता हूॅं दोस्तों के बीच और तंग कसा था !!!
---राजकपूर राजपूत





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