tea and gestures
इशारों -इशारों में
न नदियाॅ॑ हैं
न दरिया है
न झील है
न सागर है
न पेड़ है
न बाग है
न एकांत है
न शांत है
भीड़ है मगर
मिलेंगे कहाॅ॑
ऐसे में
चलें आना तुम
चाय वाले के पास
दिल की बातें करेंगे
चाय वाले के पास
इशारों-इशारों में
चाय की चुस्की होगी
नज़रें झुकी होंगी
शांत होंगे ओंठ
लेकिन सुनाई देगी
दिल धड़कन
और हर धड़कनों की आवाजें
हमारे दिल की बात होगी !!!
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---राजकपूर राजपूत
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