शायद ! मैं आता लौटकर

शायद ! मैं आता लौटकर
बुला लेते आवाज देकर

उम्र भर ढूॅ॑ढा हूॅ॑ तुम्हें
क्यों खोता तुम्हें पाकर

देखता रहा इसी उम्मीद में
मनाओगे अपना प्यार देकर

कुछ शिकवा गिला करते तुम
लेकिन देखा नहीं पलटकर

उस वक्त मुझे अहसास हुआ
क्यों चले गए दिल तोड़कर

---राजकपूर राजपूत''राज''
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