Humanity is Poetry . मानवता के लिए जरूरी है । व्यापक नजरिया । जो समझ सकें सबके जीवन को । सम्मान कर सके , सबके जीने के तरीकों को । बेहतर होगा कोई तथाकथित बुद्धिजीवी न बन पाए जो केवल बहकाएं सबको । अपने एजेंडे के अनुरूप । पढ़िए मानवता पर कविता हिन्दी में 👇👇
Humanity is Poetry
मानवता यही है कि
हम और आप एक हैं
सिर्फ शारीरिक बनावट के
आधार पर
लोगों में अंतर करना
साधारण नजरिया है
या फिर
किसी रंग, रूप,
शारीरिक संरचनाओं को
आघार मानकर
जो रुचि,, अरुचि
उत्पन्न होते हैं
जिसमें आपकी घृणा
या फिर प्रेम
प्रर्दशित होते हैं
आपके अपने भावनाएं हैं
जो ज़रूरी नहीं कि
सामने वाले
साधारण या असाधरण
व्यक्तित्व की सही पहचान है
मानवता वही है
जो मन की शांति दे
नई अनुभूति दे
और ये भाव
उसी समय उत्पन्न होगा
जब आप
अपनी भावनाओं को
दूसरों की भावनाओं में
देख पाएंगे
सम्मान कर पाएंगे
नहीं तो ...
कई खण्डों में
बटे रहेंगे
लिंग,रंग-रूप,
पंथ-धर्म
स्त्री-पुरुष में
भ्रमित हो कर
आंदोलित हो कर !!!
मानवता
मानवता यही है
कई जगह चुप रहे
इंसान होने के नाते
समझना चाहिए
दिमाग होने के नाते
प्रकृति में बंधे हुए लोगों को
बौद्धिक क्षमता होने के नाते
किसी जीव जंतु से लेकर
इंसानी जज्बातों को !!!!
अगर समझदार हो तो समझना
सबकी कमजोरियों को
उसकी ताकत को
सम्मान भी करना
जो जीते हैं
बिना किसी को नुक्सान पहुंचाएं
तुम मत बनना
तथाकथित बुद्धिजीवी !!!
अभी सभ्यता आई नहीं है
तुममें
तुम तो सह नहीं पा रहे हो
किसी के
जीने तरीके को
बदलने की कोशिश है तुम्हारी
धीरे-धीरे
अपने नजरिए से!!!
तर्क और फ़र्क
बुद्धिजीवियों से सीखा जाता है
जब आत्मकेंद्रित होकर
किसी सहुलियत
विचार पर
अपनी विद्वत्ता दिखा पाते हैं
जहां गला काटने का डर है
वहीं तर्क में फर्क है !!!
चुप्पी
सत्य को दबाने के लिए
तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा किए जाते हैं
एक झूठ लेकर
सत्य की छवि
धूमिल किया जाता है !!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 सांप और आदमी कविता
---राजकपूर राजपूत''राज''
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