हां , वो बड़ा हो गया है

हां, वो बड़ा हो गया है 


हाँ ,वो बड़ा हो गया है
अपने घमण्ड़ में खड़ा हो गया है
कर रहा है पोषण जड़ से
वो धरती से अलग हो गया है

जैसे कोई अमरबेल
चूसता है रस का पेड़
फैल के चारों ओर
पत्ते-पत्ते के कोमल छोर
बढ़ गया है देखो न , चारों ओर
बन के बोझ पेड़ों पर ही पड़ा है

हाँ,वो बड़ा हो गया हैं

जैसे कोई पिस्सू
जैसे कोई जूं
जैसे कोई मच्छर
खून चूसने में उसे
कौन दे सकता है टक्कर
किसी का शरीर ही अब
जैसे उसका घर हो गया है

हाँ, वो बड़ा हो गया है

जब जोंक पकड़ ले किसी को
चुपके-चुपके चूस ले खून को
बडे़ शिष्टता है उसमें
चालाकी ऐसे, पता ना चले किसी को
देखो न ! वो कहां खो गया है
हर शख्स है परेशान
परजीवी चढ़ गया है

हाँ, वो बडा़ हो गया है

कोई कर भी क्या सकता है
विवशता भरी नजरें
इधर- उधर देख के चल सकता है
जो मिल जाय
उस पर भी तो  वो चढ़ सकता है

जिस पे चढें वही जाने
भीड़ हैं मतलब के दीवाने
मेरी हालात देख
साथी पेड़ हरा हो गया है
हे!भगवान तु कहां चला गया है

देखो !वो बडा़ हो गया है


---राजकपूर राजपूत

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