कितना सुन्दर मेरा गांव है

कितना सुन्दर मेरा गांव है
जहां पीपल की छांव है
सुकून बसे हर दिल में 
जब थिरक पड़े हर पांव है

हुई सुबह पंक्षी उड़े मगन में
दाना ढूंढे धरती और गगन में
जाग उठी देखो सारी दुनिया
जब कौवा करें काॅ॑व काॅ॑व है
कितना सुन्दर मेरा गांव है

लहराती बलखाती नदियां हैं
ताकतें सदा मेरी अखियाॅ॑ है
खुशियाॅ॑ देती हर नजारें हैं 
बहती नदी और चलते नाव है
कितना सुन्दर मेरा गांव है
---राजकपूर राजपूत''राज''



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