Aaj Ka Daur Ghazal in Hindi
अब कैसा ये दौर है
विद्वान नहीं वो चोर है
सलाह देते हैं सभी आजकल
जो खुद ही कामचोर है
आक्रोशित हैं वो शख्स
सिर्फ सियासत का ही शोर है
खुद का ठिकाना नहीं है
दूसरों पे ऊंगली उठाने का जोर है
अमन चैन की बातें जजती नहीं
जिसके घर में आतंक का ठौर है
वो अनुमान को ज्ञान मान बैठे हैं
जिसके तर्कों का संसार है
उसे भरोसा नहीं है अब किसी पर
जो खुद दुनिया के लिए बेकार है
---राजकपूर राजपूत''
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2 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर
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