तेरी गली मोहल्ले
ये गली-मोहल्ले बहुत शांत है
तेरे शहर में कहाॅ॑ कोई बात है
सूने पड़े हैं दरो-दीवार सभी
जैसा दिन है वैसी ही रात है
कुदरत के खेल बड़े ही निराले
पूरी मानवता पर आघात है
किस मोड़ पे आ गई जिंदगी
कुछ दूरियों में ही मुलाकात है
घमंड ना कर कुछ सीख ले 'राज'
२१वीं सदी में विज्ञान को मात है
---राजकपूर राजपूत
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