Poem on love with love गले मिले और हाथों से हाथ छूट जाते हैं
आजकल के रिश्तों में इरादे छुपाए जाते हैं । दिखावा कुछ और,, इरादे कुछ और होते हैं ।
गजल रिश्तों की 👇👇👇
Poem on love with love
गले मिले और हाथों से हाथ छूट जाते हैं
इस दौर में रिश्ते कई यूॅ॑ ही टूट जाते हैं
हालांकि आधुनिकता आ गई है मगर
समझाने में सबके पसीने छूट जाते हैं
छिपा के रखते हैं आजकल इरादें अपने
पैसों के सामने कई आदमी टूट जाते हैैं
मेरी तनहाई का आलम ना पूछो अभी
बता नहीं सकता कई लफ्ज छूट जाते हैं
मेरा इश्क़ दिल में था ख्याल रखना जरा तुम
दिमाग़ की बातों से तो सभी लूट जाते हैं
मेरे पास अब कोई राज नहीं जो था खोल दिया
संभाला बस प्यार को लेकर वो भी छूट जाते हैं !!!
विश्वास दिलाया और विश्वास टूट जाते हैं
जैसे गले मिले और हाथ छूट जाते हैं
यकीनन ये दौर ही भरोसे के लायक नहीं
यही ख्याल है सबका विश्वास टूट जाते हैं
बसंत क्या आएगा मौसम में रंगत बढ़ गई
मगर पुराने पत्ते अपने पेड़ से टूट जाते हैं
उसे जैसा भी लगा अच्छा लगा साथ नहीं आए
हमारी कदर ही कहां मेरा दर्द फूट जाते हैं !!!
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-----राजकपूर राजपूत
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