ये मेरा दिल कहे हैं क्या
खुद से अनजान हो क्या
आईना देखे हैं बार-बार
खुद के जैसे देखे हो क्या
कैसा मुकाम हासिल कर ली
चेहरा देख परेशान हो क्या
इतनी तालीम तो पा ली होगी
पुराने रिश्ते काट लेते हो क्या
आवाज दे रही है मंजिल तुझे
अकेले चलने से डरते हो क्या
---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar
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