तुम ही कहो

तुम ही कहो
मै तो जीवन में
सब कुछ हार गई
मेरा अस्तित्व अब तुझ पर है
                                  
चाहे जिस पथ ले चलों !
फूल हो या काटें
बस तेरा अहसास हो
दुनिया की हर पीडा़ ,सहन है
बस तेरा साथ हो
                   
मेरी सम्पूर्णता तुझ पर
शांति तुझे पाकर आती है
पूरी दुनिया छुट रही है
पहचान तुम बन गई हो
नहीं रुचता दुनिया की बातें
तेरी याद काफी लगती है
     
रहूॅ॑ किसी कोने में
मै कभी उदास नहीं हुआ
तेरे चेहरे से सुकून है
और मेरा समर्पण के भाव
तेरे चरणों में मेरी छांव
अब सब कुछ तुझ पर है

इसलिए ! तुम ही कहो
---राजकपूर राजपूत''राज''


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