वो दिल तोड़ के यूं मुस्कुराते रहे

वो दिल तोड़ के यूॅ॑ मुस्कुराते रहे 
पास आ के मुझे वो समझाते रहे

ना समझें जो दिल की बात कभी
चालाकियों से दिल को बहलाते रहे

एकतरफा था प्यार समझ ना पाया
बस इसी बात का फायदा उठाते रहे

सुना था इश्क में पत्थर भी पिघलते हैं
बस इसी उम्मीद में हम वफ़ा निभाते रहे

-----राजकपूर राजपूत "राज
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