हाथों की लकीरों को मिटा के देखना

हाथों की लकीरों को मिटा के देखना
गम के दौर में भी मुस्कुरा के देखना

यक़ीन है ये आंधियां रुख़ मोड़ लेगी
बस अपने इरादें सम्भाल के रखना

अंगद के पैर उठाने लंका दौड़ पड़ेंगे
राम का नाम जुबां पे सज़ा के रखना

हर मुसीबतों का यहाॅ॑ हल है "राज़"
दुनिया से नजरों को मिला के रखना

_____ राजकपूर राजपूत''राज''
हाथों की लकीरें






Reactions

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ