मैं कैसे कहूॅ॑ मेरे दिल में तेरे लिए क्या है

Dil ki Baat ghazal hindi


मैं कैसे कहूॅ॑ मेरे दिल मेंं तेरे लिए क्या है
तुने हाथ छुड़ाया बता तेरे दिल में क्या है

तुम कहते हो मेरा इश्क़ एक नादान है
किताबों में दबे गुलाब की पंखुड़ियाॅ॑ क्या है

बेपरवाह, बेशक मिलते-जुलते हो सभी से
आ गए जो सामने नजरों का घबराना क्या है

दर्द छुपता नहीं छुपाने से नजरें बयां करती है
यूॅ॑ भीड़ में हॅ॑स के दिल को बहलाना क्या है

तुम्हीं से मेरी जिंदगी में रौनक और बहार है
तेरे सिवा इस ज़िन्दगी में फिर रक्खा क्या है

हां हंस कर भी कह सकते थे तुम दिल की बात 
नाराजगी भरें लहजे नफ़रत नहीं तो क्या है

तुम्हारी शिक़ायत, आरोप कभी जाते नहीं है 
गुलाम हूॅं तेरा ये सजा नहीं तो क्या है

दिल की बात दिल में रही तुम अनदेखा करके चले गए 
यकीनन तेरा फैसला है एकतरफा नहीं तो क्या है 










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