तेरे सिवा नज़रें ना ठहरी किसी पर

तेरे सिवा नज़रें ना ठहरी किसी पर
दिल मेंं दर्द उठा है सिर्फ तुम्हीं पर

सोया हुआ था कब से मेरे जज़्बात
न जाने क्यूॅ॑ मचला ये दिल तुम्हीं पर

चाॅ॑द को अखरता है ये सफर तनहा
रात भर रोया है शबनम है जमीं पर

तुम आओं जिंदगी में तो बहार आ जाएं
ये दिल दीवाना है भरोसा नहींं किसी पर
___ राजकपूर राजपूत"राज़"






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