navvarsh-mubarak-ho-नववर्ष तो सभी मनाते हैं । लेकिन असल उद्देश्य को भुल जाते हैं । नववर्ष में मांस खाने और शराब पीने का ऐसा चलन हो गया है कि लोग अपने बीते दिनों की गलतियों और कमियों पर ध्यान नहीं दें पाते हैं । जबकि नववर्ष प्रतीक है । नए उत्साह और उमंग का । संकल्प लेकर नववर्ष में प्रवेश करने का । जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैं । प्रस्तुत है इस पर कविता हिन्दी में 👇👇
navvarsh-mubarak-ho
मुबारक हो नया साल -
जो ना मिलें दो हजार उन्नीस में
प्रण है पूरे होंगे दो हजार बीस में
कैलेण्डर का पत्ता पलट दो यारों
देखो ! क्या है पहले ही तारीख़ में
हमनें चाहा है सदा खुश रहे सभी
जो मांगे मिल जाए दो हजार बीस में
दिल से दुआ है आपकी चाहत अधूरी न हो
अपनों की जो तलाश है जिंदगी में
----राजकपूर राजपूत'
2 टिप्पणियाँ
Bahut sundar
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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