poetry-in-his-words-
उनकी बातों में
न्याय नहीं था
बस कई तर्क थे
जो उसे घुमा फिरा के
सही सिद्ध करना था
उसकी बातों में
इंसानियत नहीं थी
जो सबको
बराबर समझ सकें
कुछ प्रमाण थे
जो उसे सिद्ध करते थे
वो कर रहे हैं सही है
जबकि तर्क और प्रमाण
सत्य और इंसानियत को
ज़िंदा रखने के लिए है
मगर दुर्भाग्य है
इस देश का
जो व्यक्ति विशेष को
स्थापित करने के लिए
किए जा रहे हैं
सियासत बुद्धि से !!!!
poetry-in-his-words
तुम नेताओं को
राजनीति करते हुए देखा होगा
हमने तो गांव के छूट मुहे भैय्या को देखा है
जो शिक्षा, शिक्षित होने पर जोर देता है
धर्म और दर्शन को ढोंग कहता है
उद्देश्य हीन दर्शन जिसका
न मैं तेरा न मेरा जिसका
कल क्या होगा
पता नहीं जिसको
नफ़रत में अंधे
तर्क करता है
तर्क में फर्क करता है !!!!!
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