सागर की गहराई में - कविता

       (१)

सागर की गहराई में

पानी स्थिर हो गया है

बस सागर की ऊपरी हिस्से

लहर मारती रही 

     ( २)

इतना प्यार करता हूं दिल में रख लें मुझे

और जब तन्हाई घिरे तो ख्यालों में देख लें मुझे

मर गया हूं या ज़िंदा हूं मुझे कुछ खबर नहीं 

अगर तुझे फूर्सत मिले तो आकर देख ले मुझे




       (३)

नफ़रत तो जिंदा रहेंगी

हम इस तरह ही पढ़ रहे हैं

अभिव्यक्ति की आजादी है

कोई कुछ भी कहें लेकिन पढ़ रहे हैं

सोशल मीडिया का जमावड़ा है

कई पेज़, कई ग्रुप पढ़ रहे हैं

कोई सुधारक नहीं मगर बातें सुधारक की

आलोचना ऐसी बस थकान बढ़ रहे हैं

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