मैंने एक कविता लिखी थी
fatigue-on-poem-in-hindi
सांझ के समय
सोचा था
घर वापस लौटूंगा
दीवारें मुझसे बातें करेंगे
घर का चौखट स्वागत करेंगे
मेरे आने से
ऑंगन मुस्कुराएंगे
और मुझसे पूछेंगे
मेरा हालचाल
तो सुना दूंगा
अपनी कविता को
थकान दूर हो जाएगी
मेरे शब्दों से
लेकिन नहीं
मेरे जाने से पहले
दीवारें और चौखटों ने
बुला लिया था
बाहर की उदासी को
अजीब सी रूग्णता छाई थी
ऑंगन में
fatigue-on-poem-in-hindi
जहॉं दीया जल गया था
जिसे ध्यान नहीं दिया था
तुलसी चौरा में
टिमटिमाते हुए
सोचता रहा
दीए में रौशनी है
लेकिन मेरे अंदर
उदासी है शायद !
जहॉं सुनापन गुंज रहा था
जिसे घर की दीवारें
पहचान रही थी
और मैंने
ऑंगन की रौशनी नहीं देखी
अपनी उदासी में
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