Heart's Voice is Neglected Poem
उपेक्षित है
नैतिकताएं
जो कभी जीवित थी
सबके हृदय में
एक जिम्मेदारी के रूप में
उपेक्षित है प्रेम
जो कभी सबको जोड़ते थे
आपस में
उपेक्षित है
ज्ञान
जो कभी सतत
जागरुक थे
एक दीप की तरह जलते थे
सबके हृदय में
एक नई राह के लिए
ऐसा नहीं
इसकी रौशनी कम हो गई है
ऐसा भी नहीं कि
इसकी जरूरत कम हो गई है
लेकिन फिर भी
उपेक्षित है
लोगों के दिमाग से
जो इसे कम मानते हैं
आज भी लोग
इसे अपनाते हैं
अपनी सुविधा में
आज भी सहारा है
भ्रष्ट लोगों का
जिसके सहारे
अपनी स्वार्थ की
रोटी सेकते हैं
रंग बदलते हैं
गिरगिट जैसे
वक़्त वक़्त में
तब कहीं
ढोंग स्वरूप
अपनाते हैं
वर्ना उपेक्षित है
ये मान्यताएं !!
Heart's Voice is Neglected Poem
जीवित इंसान होगा तो
सुन लेगा
तेरी आवाज़
जैसे भीतर से बंद दरवाजे
खोल देते हैं
भीतर में रहने वाले
तब तक चिल्लाना पड़ेगा
जब तक तुम्हारी आवाज़
कोई सुन लें
जीवित इंसान !!!
सुनने के लिए सब सुनते हैं
लेकिन मर जाते हैं
अनसुना करके
जीवित इंसान !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर रचना
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