मेरी धड़कनों के आसपास है

कुछ सुनहरे पल मिले थे वो खास है
जिसका मेरे दिल को अभी अहसास है

आज भी चला जाता हूॅ॑ उन्हीं नजारों में
तू नहीं है जहॉं इसलिए मेरा मन उदास है

मेरे जीने में मत जा चलता फिरता लाश हूॅं
जी रहा हूॅं मैं तू मेरी धड़कनों के आसपास है
---राजकपूर राजपूत''राज''
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