दिन के उजाले में

दिन के उजाले में
मेरा ध्यान भटकता है
तेरे ख्वाब सजाने में
तुम चले आना
रात की तनहाई में
जहॉं मुझे कुछ दिखाई ना दे
सिवाय तेरी तस्वीर के
जिससे मैं बातें करूॅं 
ढ़ेरों सारी
तब जब सो जाएं
बस्ती सारी
जागती रही मेरी ऑंखें
तेरी यादों में
रातभर !!!!

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