End Poems in Hindi
ये दिन का अंत नहीं विश्राम है
नई सुबह होगी फिर नए काम है !!!
कविताएं लिखना
कितना सरल है
जैसे बहते नदी का जल है
एक आतंकवादी ने भी लिखीं
कविताएं
अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए
दबाव पूर्वक
एक नफरती
समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले ने भी
लिखीं कविताएं
अपने बिरादरी के लिए
जिसने नहीं देखी
किसी अन्य बिरादरी में
इंसान
End Poems in Hindi
की कोशिश सदा
खुद को शोषित उत्पीड़ित बताते हुए
एक प्रगतिशील विचारक ने भी लिखीं कविताएं
एक स्त्री के लिए कविताएं
जिसने बताया
स्त्री का शोषण हुआ है
बरसों से
पुरुष अत्याचारी है
पुरुष पर होते
अत्याचार को देख नहीं पाया
आत्मचिंतन करके
तर्क किए
फर्क किए
इंसान इंसान में
लेकिन
ऐसी कविताएं नहीं लिखीं
जो न्याय संगत हो
समय के अनुसार
पहचान पाएं
इंसान !!!!
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