नादानियों में खेले वो हर खेल
जो दिल से था ।
मेरे बचपन के साथी
मेरे बेहद करीब था ।
कुछ बड़ों की नकल थी
चेहरे पर हर पल खुशियां थी ,
उस समय मेरे पास ना अक्ल थी
किसी बात पे ना मनभेद था ।
जवानी के आते ही
मेरे चेहरे की हंसी छीन गई ,
मेरी नादानियों की दुनिया
मुझसे रूठ गई ।
कुछ दोस्त बेवजह दूर हो गए ,
कुछ जिंदगी की तलाश में मजबुर हो गए
1 टिप्पणियाँ
शानदार
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