हॉं मैंने भी एतबार किया था ghazal love

ghazal love

 हॉं, मैंने भी प्यार किया था

हॉं मैंने भी एतबार किया था

मगर तुम नहीं आए मेरी जिंदगी में

मैंने बरसों तेरा इंतज़ार किया था

वो हमें बेवजह छोड़ के चले गए

जिसे खुद से ज्यादा प्यार किया था !!

ghazal love

उसे प्यार जैसे शब्दों पे यकीं नहीं

उसके वास्ते न आसमां नहीं जमीं नहीं

वो संबंधों को मतलब से स्थापित करते हैं

कोई गैर नहीं कोई अपना नहीं

जाने कैसे वो जी लेते हैं

गिरगिट है आदमी नहीं  !!

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