हासिल हो भी जाए तो क्या
हासिल हो भी जाए तो क्या
तुम्हारा दिल भर जाए तो क्या
तेरी चाहत की कीमत बैचैनी में है
पाने के बाद मर जाए तो क्या
अक्सर टिकती नहीं मोहब्बत उसकी
सियासत दिल में भर जाए तो क्या
अभी वो सच बोल रहा है मगर
एजेंडा साधने के लिए है तो क्या
सच की कीमत नहीं है यारो
व्यक्तिगत जीवन में फायदा है तो क्या
थक गया हूॅ॑ अब ज़िंदगी से राज
हासिल हो भी जाए तो क्या
-राजकपूर राजपूत
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