एक बार तुमने
अनकहे, अनजाने
मुझे छूआ था तुमने
तेरा स्पर्श ही था या
तेरी नज़रें का कमाल था
भुला नहीं उस पल को
समझा ना पाया
अपने दिल को
तू दिल में बस गई
कब धीरे-धीरे
मेरे लिए
वो लम्हा कितना खास था
उम्रभर के लिए अहसास था
सम्पूर्णता का भास था
जो तुम मेरे पास थे
जब तुमने मुझे छूआ था
और तब मुझे
कुछ ऐसा लगा था
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