जो देख रहे हो मेरी चाहत की झांकी है
मेरी शिकायतें ही मेरी ख्वाहिश थी
कहना था कई बातें लेकिन कुछ बाकी है
मोहब्बत है तुमसे तो उम्मीद तुम्हीं से
दर्द छिपाता हूॅ॑ मगर तुम्हें समझना बाकी है
इश्क़ में खुल के कही नहीं जाती बातें
नजरों को नज़रों से पढ़ना अभी बाकी है
---राजकपूर राजपूत''राज''
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